Wednesday, July 26, 2023

4>|| " ॐ हं हनुमते नमः"-( 1--4)

 1>|| " ॐ हं हनुमते नमः" |1

2>  "সোহম" মন্ত্র

3>বেঁচে থাকার  মূল মন্ত্র::--

4> || "তিষ্ঠ ক্ষণকাল"::--||

5> || अद्भुत मैजिक मंत्र " ॐ हं हनुमते नमः

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 1>|| " ॐ हं हनुमते नमः" ||


ध्यान से परिये, आछेसे समझलीजिये।


आज हम आपके सामने एक अद्भुत मैजिक मंत्र लाये है ।


जिंदगीमें तो बोहुत कुछ देखे होंगे।

जीवन मे कभी जीवनकी मैजिक देखा हैं केया?

आज एक मन्त्र शिखा रहा हैं,

इस मंत्र दिनमे कबिभी किसीभी टाइम पाठ तथा जप कर सकते हैं।

खेयल रखे मन्त्र मन हि मन जाप करना हैं।

कोई ना शुनने पाय।


आप जो कुछ चाहते हैं। उस चीज मांगिये,

मांनेके बाद  मन ही मन इस मंत्र जप कीजिये।

मन्त्र की कोई संख्या नेही हैं।

जेतना मन चाहे उतना ही कीजिये।

दिनमे दो या तीन बार कीजिये।

कोभी किभी साथ साथ फल प्राप्त होंगे।

कोई विशेष काम होनेसे दो या तीन हप्ता भी लग सक्ते हैं।

आजमाकर देखिए।

मन्त्र::---

  " ॐ हं हनुमते नमः"  ||


★★साबधान साबधान कभी दूसरा किसीका 

कोईभी नुकशान तथा अनिष्ठ करनेके बारे मत सोचिये।

दूसरा किसीका नुकसान तथा कोईभी आनिष्ठ करनेके सोचसे उनका कुछभी नुकसान नेही होंगे। उल्टे आपकी इस मन्त्रकी प्रोभाव नष्ठ होजाएँगी। आपकीहि दोगुना नुकशान होंगे।

अतः दूसरे किसीको बुरा मत शोचो।


"नज़र वो जो दुश्मन पे भी मेहरबान हो,

जुबां वो जो इक प्यार की दास्ताँ हो

किसी ने कहा है मेरे दोस्तों,

बुरा मत सुनो बुरा मत देखो बुरा मत कहो।"

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महाराज की कहना हैं ----



        "ॐ हं हनुमते नमः" |


 इस मंत्र का जाप करे जिस से आपका दिन शुभ एवम मंगलमय हो।आप इस मंत्र  से भगवान् हनुमान जी को प्रसन्न कर सकते है।


हनुमान जी तो संकट को हरने वाले है । आपकी हर मुश्किल, हर दुविधा को दूर करने वाले है, अगर आप एक बार जय श्री राम और जय हनुमान को सच्चे दिल से याद करे ते हुंए

इस मंत्र जप करे।


आपके साथ स्वं  श्री हनुमान जी का साथ होगा और वे आपको हर मुश्किल और हर संकट से दूर करेंगे एक बार दिल से बोलीये---

   -"ॐ हं हनुमते नमः"  

कहते हैँ कलयुग मे अगर कोई भगवान् धरती पर हैँ तो वो हैँ हनुमान जी जब कलयुग शुरू हो रहा था तब सभी भगवान् अपने धाम लौट गए और श्री रामजी ने हनुमानजी को धरती पर धर्म और लोगो की रक्षा की जिमेद्दारी सौपी इसलिए आज भी हनुमानजी धरती पर हमारे साथ है।


अतः इस माहा  मंत्र का जाप करने से आप हनुमानजी की कृपा का पात्र बन जायेगे.


यह मंत्र बहुत शक्ति शाली हैँ, कहते हैँ इस मंत्र के जाप करने से आपकी सभी रोग दुर हो जाते है, कष्टों से मुक्ति मिलती है और हनुमान जी की भी आप पर बड़ी कृपा रहती हैँ।


           "ॐ हं हनुमते नमः"

 इस मंत्र का अर्थ हैँ की ----

"हे हनुमान जी हम आपको नमस्कार करती हैँ आपकी भक्ति और आप पर विश्वास रखते हैँ ।आप हमारी रक्षा करें ।"

पूरी श्रद्धा सच्ची भावना से जब आप इस मंत्र का जाप करेंगे कुछ दिन मे आपकी जीवन मे बहुत सारी अच्छी चीज़े होंगे मुस्किले हाल हों जायेगे और जिंदगी मे सुकून शांति बानी रहेगी।


इस मंत्र को संकटमोचन कहा जाता है, 

जब कभी भी आपको डर लगे आप मुश्किल मे फस जाये आप इस मंत्र का जप करें।


कभी कभी आपको जीवन मे negative energy सताती हैँ इस मंत्र का जप करें

नींद मे भी आपको बुरे सपने आते हैँ तो आप जैसे ही "ॐ हनुमते नमः" मंत्र का जाप करेंगे सब गायब जो जायेगे और आपको बहुत सुकून भारी नींद आएगी

इस मंत्र से डर, रोग, शत्रु, अहंकार, क्रोध और कष्टों से मुक्ति मिलती हैँ

इस मंत्र का जाप करने से जीवन मे सफलता मिलती हैँ।


इस मंत्र का 108 बार जाप करना बहुत ही लाभदायक हैँ अगर आप रोज़ सुबह उठा कर नाहा धो कर साफ कपडे पहन कर अपने घर के मंदिर मे या बाहर जा कर हनुमान मंदिर मे एक जगह हनुमान जी के सामने बैठ जाये और "ॐ हनुमते नमः" मंत्र इस मंत्र को 108 बार जाप करें सच्चे दिल से की अब आपके जो हैँ हनुमान जी ही हैँ वहीँ आपकी रक्षा करेंगे आपको सही मार्ग पर ले जायेगे आपके जीवन को सफल बनाये ऐसी आस्था के साथ आप हनुमान जी के इस मंत्र का 108 बार जाप करें.


आपको आपके जीवन मे बहुत बदलाव देखने मिलेगी और सकून और खुशहाल जीवन आप जियेंगे।


ऐसा कोई नियमित नहीं हैँ की आपको सिर्फ सुबह ही इस मंत्र का जाप करना हैँ आप दिल से कभी भी मन मे इस मंत्र का जाप कर सकते हैँ।

रोज़ नियमित रूपसे इस मंत्र जप  करने से आपको बहुत फयदे होंगे ।

और कभी भी आपको हनुमान जी को याद करना हो तो आप इस मंत्र का जाप कर सकते हैँ आपको डर लगे आप परेशान ही आप इस मंत्र का जाप करें।


मुझे उम्मीद हैँ आपको निश्चित रूपसे फयदा 

होंगे।


पीछे 15 दिन बहुत सोचते हुंये ,आपके लिए कुछ करनेकी इच्छा  मनमे रखते हुंये अचानक मालूम हुआ कि हनुमानजी स्वं ही प्रकट होकर इस निर्देश दिया।

अतः मेरा तो 100% भावना हैं कि इस मंत्र से आपकी सारे मुश्किल आसान होंगे।

मैं तो इस मंत्र की अच्छे फल प्राप्त करते हुए 

आनंदके साथ आपको निदेश देते हुए आपकी मङ्गल कामना करते हैं। 

      <----आद्यनाथ राय चौधुरी---->

             27/07/2023 रात्रि 12:57 

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2>  "সোহম" মন্ত্র

3>বেঁচে থাকার  মূল মন্ত্র::--

4> || "তিষ্ঠ ক্ষণকাল"::--||

5> || अद्भुत मैजिक मंत्र " ॐ हं हनुमते नमः" ||


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  1>  "সোহম" মন্ত্র


শক্তিশালী এই মন্ত্র, জপ করলেই দূর হবে সমস্যা, পাবেন শিবের সান্নিধ্য


শাস্ত্র মতে সোহম মন্ত্র জপ করলে শিব-শক্তির নিকটে পৌঁছনো যায়। 

সোহম মন্ত্র জপ করলে রাগ নিয়ন্ত্রণ করা যেতে পারে। 


হিন্দু শাস্ত্রে মন্ত্রোচ্চারণ ও ধ্যানযোগের বিশেষ মাহাত্ম্য স্বীকৃত। 

ধ্যানে মানসিক অবসাদ থেকে মুক্তি হয়।

আবার ধ্যান বা নির্দিষ্ট কিছু প্রাণায়ামের সময়ে ওম উচ্চারণ করলে আরও সুফল পাওয়া যায়। সঠিক পদ্ধতিতে ধ্যানের সময়ে মন্ত্র জপ করলে ব্যক্তির মস্তিষ্ক শান্ত হয় এবং অনুভব করা যায় অফুরন্ত আনন্দ যে আনন্দ  ঈশ্বরের সঙ্গে ঘনিষ্ঠ হয়েছে।



শাস্ত্র মতে আরও এক শক্তিশালী মন্ত্র হল "সোহম মন্ত্র"। ধ্যানের সময় এই মন্ত্র জপ করলে অধিক সুফল পাওয়া যায়।

 শাস্ত্র মতে নিঃশ্বাস-প্রশ্বাসের সঠিক প্রক্রিয়াকে সোহম সাধনা বলা হয়। 


সোহম মন্ত্র জপ করলে 

 একাগ্রতা ও আন্তরিক স্থায়ীত্বের বিকশিত হয়। এর ফলে ব্যক্তির মস্তিষ্ক সচেতন ও জাগরিত হয়, রাগ কমে। এই মন্ত্র ব্যক্তিকে নিয়ন্ত্রিত ও সংযমিত রাখে। 


শ্বাসগ্রহণের সময়ে মনে মনে "সো" উচ্চারণ করতেহবে,


আবার ত্যাগ করার সময়ে "হম"  উচ্চারণ 

করলে অন্তরে একর অনুরণন সৃষ্টি হবে।


সো= অর্থাৎ উচ্চতর চেতনা 

এবং 

হম= শব্দের অর্থ অহংকার বা ইগো। 


শ্বাস গ্রহণের সময়ে নিজের অন্তরে উচ্চতর চেতনার প্রবেশ 

 আবার 

শ্বাস ছাড়ার সময়ে অন্তর থেকে অহংকার বের করা দেওয়া উচিত।


এই সাধনাটিতে অনেকে "হমশা" বলে থাকেন। সোহম শব্দের অর্থ যেমন শিবের সঙ্গে যুক্ত, তেমনই হমসা শব্দটি শক্তির সঙ্গে সম্পর্ক রাখে। তাই "সোহম" বা "হমশা"  উচ্চারণ করলে ব্যক্তি শিব-শক্তির নিকটে পৌঁছতে পারবেন। নিয়মিত এই মন্ত্র জপ করলে শারীরিক ও মানসিক সমস্যা থেকে মুক্তি পেতে পারেন।

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2>বেঁচে থাকার  মূল মন্ত্র::--


নিজের ওপর ও নিজের অন্তরাত্মার ওপর বিশ্বাস কখনও হারাতে নেই। 

এটাই বেঁচে থাকার মূল মন্ত্র।


নিজের ওপর ও নিজের  বিশ্বাস।


जिनेकी मूल मंत्र::--

खुद पर और खुद की आत्मा पर विश्वास। 

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     3> || "তিষ্ঠ ক্ষণকাল"::--||

"একে অন্যের সঙ্গে একমত না হলেও কী ভাবে সুস্থ বিতর্ক করা যায়।


অর্থাৎ সুস্থ বিতর্ক করতে সকলকে শেখা উচিত যে 

কথোপকথন বা তর্কবিতর্কের সময় কারও কথার মধ্যে কথা বলা তো চলবেই না, এমন কি একজনের কথা শেষ হলেই অন্য জন মুখ খুলবেন না, এক মিনিট অপেক্ষা করবেন, তার পরে তিনি নিজের বক্তব্য উচ্চারণ করবেন।


আপাতদৃষ্টিতে অভ্যাসটি সমান্য মনে হলেও তার তন্নিষ্ঠ অনুশীলনে বড় রকমের উপকার হতে পারে।

★((তন্নিষ্ঠ [ tanniṣṭha ] বিণ. সেই বিষয়ে নিবিষ্ট, তন্মনস্ক; একাগ্র।))


দু'টি প্রধান উপকার ।

এক, অন্যের কথা শুনতে শেখা, সে-কথার অর্থ ও যুক্তি অনুধাবন করতে শেখা, তার মুল্য বিচার করতে শেখা।

দুই, নিজের চিন্তাকে যাচাই করে নেওয়া এবং নিজের বক্তব্যকে গুছিয়ে নেওয়া।


যেকোনও আলোচনার পক্ষে এই দুই বিদ্যাই যে  অত্যন্ত প্রয়োজনীয়।

এহেন অনুশীলন শিক্ষা যেমন সৌজন্য প্রকাশের জন্য প্রয়োজন তিমনি আত্মোন্নতির পক্ষেও বিশেষ সহায়ক।


ভিন্ন মতকে মন দিয়ে শুনে তার পরিপ্রেক্ষিতে নিজের ধারণাকে নতুন করে বিচার করতে পারলে সেই ধারনাও

অনেক বেশি যুক্তিসঙ্গত হয়ে উঠতে পারে।

তার মূল্য কেবল কথোপকথন বা সৌজন্যের  জন্য নয়, নিজের উত্তরণের জন্যও। বলা বাহুল্য, এই উত্তরণই 

 সুস্থ বিতর্ক করার যথার্থ শিক্ষা"।

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